तय था ये की मरेगा वह
जलेगा ये महल
और वो मारेगा
वो जलाएगा
खुश था वह
जिसे मरना था
दुखी था वह जिसे मारना था
मगर करना था दोनों को अपना काम
निश्चित दिन मारा गया
मुक्त हुआ वह
और वह भी सार्थक हुआ
आज भी खुश है वे
भले ही मारे जाएँ
फिर आते है मरते है
कल भी मरेंगे ..
कल भी आयेंगे
मारने वे .........
मारने वाला वह एक ही है
मरने वाले विश्व के हर कोने
खड़े है अट्टहास करते
सीना ताने ...
मरने को बेताब ...
रावण कब मरोगे ????
खड़े है अट्टहास करते
ReplyDeleteसीना ताने ...
मरने को बेताब ...
अतिव सुंदर
“दीपक बाबा की बक बक”
आज अमृतयुक्त नाभि न भेदो
रावण तो सबके मन में है, वह मरेगा कैसे?
ReplyDeleteअगले वर्ष .........
ReplyDeletebahut achchha...
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