वो लम्हों को बीते हुए पलों को गा गया
कल शाम संगीत साँस साँस महका गया
जो छूट गयी थी डोर उसके और मेरे बीच
बिना गाँठ लगाये जाने कैसे जोड़ गया
बरस हुए मिले न ही उसकी आवाज सुनी
कल शाम वो उसको पास मेरे छोड़ गया
पास बैठा था आकर मेरे पास इस अंदाज़
दीवाना मैं था और ग़ज़ल वो गा गया
शाम सर्दियों की समेट रही थी मुझे मगर
रात मौसम न रहा तन से वो निकाल गया
अब मत पूछना मंडल कौन है वो ,कौन
अब भी न जानो तो कहना बेकार गया
बहुत सुन्दर है।
ReplyDeleteखूबसूरत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण ...
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