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Saturday, December 25, 2010

बस प्रभु प्रभु प्रभु .....

(क्रिसमस पर मानव कल्याण की अराधना के साथ आप सबको नमन )
  
यातना के शिखर
संघर्ष  के पहाड़ों को तोड़
बाधाओं पर साहस के पूल बना कर 
दर्द की पगडंडियों से पहुँच
पायी सच्ची मुस्कान
तेरी पवित्र गोद
 आँख देख रही अब तुझे सब ओर
शरीर हुआ पूरा ब्रह्माण्ड
कही  सूखा  कही हरा भरा
सब ओर तेरी छाया से ओत  प्रोत
न जीत न हार
बस प्रभु प्रभु प्रभु .....
इच्छाओं के मवाद से बाहिर
तेरी गोद मैं आज खिली
निश्चल मुस्कान ........

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