सुबह की किरण वो
मुझमे रहती
दिन भर फिर
रात को
खिल जाती
रातरानी की महक ज्यों
बस जाती
हरा करती
संसार .......
किरण है तब तलक
सृष्टि रचती रहेगी
प्यार //
मुझमे रहती
दिन भर फिर
रात को
खिल जाती
रातरानी की महक ज्यों
बस जाती
हरा करती
संसार .......
किरण है तब तलक
सृष्टि रचती रहेगी
प्यार //
ReplyDeleteएक आशा जगाती हुई
सुन्दर कविता है राकेश जी
आभार
परदेशी की प्रीत-देहाती की प्रेम कथा