पथरीले रास्तों ने ही बताया है
नुकीले चुभते हुए छोटे पत्थरों ने
मुलायम पैरों को चलना सीखाया है
दुःख की धुन पर नाचते हुए ही
हंसी ने दस्तक दी है मेरी देहलीज़ पर
प्यार हुआ है उसको देखे बिना
झूमा हूँ नाचा हूँ गले में उसके हाथ डाले
घूमा हूँ कई निर्जन होते जंगलों में
मैं कभी किसी को खोता नहीं
क्युकी मेरा प्यार देह नहीं
एक भाव है उसकी सुगंध से महकता हुआ
नुकीले चुभते हुए छोटे पत्थरों ने
मुलायम पैरों को चलना सीखाया है
दुःख की धुन पर नाचते हुए ही
हंसी ने दस्तक दी है मेरी देहलीज़ पर
प्यार हुआ है उसको देखे बिना
झूमा हूँ नाचा हूँ गले में उसके हाथ डाले
घूमा हूँ कई निर्जन होते जंगलों में
मैं कभी किसी को खोता नहीं
क्युकी मेरा प्यार देह नहीं
एक भाव है उसकी सुगंध से महकता हुआ
क्युकी मेरा प्यार देह नहीं
ReplyDeleteएक भाव है उसकी सुगंध से महकता हुआ
बस यहीं प्यार सार्थक हो गया…………बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।
क्युकी मेरा प्यार देह नहीं
ReplyDeleteएक भाव है उसकी सुगंध से महकता हुआ
बिलकुल सही कहा। प्यार तो ऐसा ही होना चाहिये। शुभकामनायें।
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।
ReplyDeletevery nice one, so much depth
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