Search This Blog

Monday, February 28, 2011

ज़िंदा कर देती है

काले कलायन अँधेरे में भी उजला
उसका बेपनाह प्यार 
जीने की व्यग्रता ,दर्द के बीच मुस्कुराती आँखे 
बादलों के पीछे झांकते सूरज की झाई सा
उसका होते हुए भी न होना 
तमाम दर्द को पीकर
 बेपरवाही में झूमती उसकी मस्ती
हमारे समय को 
ज़िंदा कर देती है

1 comment:

  1. आत्म-शक्ति दीपित शब्दों में ..सुन्दर

    ReplyDelete