काले कलायन अँधेरे में भी उजला
उसका बेपनाह प्यार
जीने की व्यग्रता ,दर्द के बीच मुस्कुराती आँखे
बादलों के पीछे झांकते सूरज की झाई सा
उसका होते हुए भी न होना
उसका होते हुए भी न होना
तमाम दर्द को पीकर
बेपरवाही में झूमती उसकी मस्ती
हमारे समय को
बेपरवाही में झूमती उसकी मस्ती
हमारे समय को
ज़िंदा कर देती है
आत्म-शक्ति दीपित शब्दों में ..सुन्दर
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