कई रंग
आये बिखेर गए अपनी आभा
हवा के संग
हवा के संग
कई बार संसार हुआ इनसे सराबोर
कभी उनके रंग रंगा नहीं
मगर ये एक रंग
सब रंगों में रखता अपनी अलग छाप
अपनी आभा से पहचाना जाता
सब रंगों को अपने रंग में रंगता
है ये रंग --- पीला भुरभुरा होते मुरझाये पात का
जो बिखेरता है उदासी
जो छोड़ता है निराशा
मगर
हर
फूल की खिलन में
हर
पात के हरे में
है इसी पीले की आभा
जो
हमारी दुनिया को रंगीन बना देती है ..
पीताम्बरी झलक.
ReplyDeleteहरी पीली रंगीन प्रकृति।
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