अलग होना
झटक कर
बटन दबने पर
अँधेरे का होना
चेट करते करते
बिजली का गुल होना
भीड़ में खोकर
कभी फिर नहीं मिलना
यूँ याद करते हुए भूलना
रोज सुबह के उजाले का
रात के अँधेरे में बदल
भटकना
अपने ही सूनेपन में
गोते लगा लगा
उसको
फिरफिर ज़िंदा करना .....
वाह।
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