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Friday, April 15, 2011

अनर्थ ..


वो जो कहते है 
उसके अर्थ कितने सुंदर है 
और जो वह कह रहे है जिन्हें 
वो जानते है की  उन्हें  क्या करना  है 
 जो सुन रहे है वे मुग्ध है 
राजा पाहिले भी ऐसे ही कहते थे 
प्रजा मंत्र मुग्ध मरती थी ,मरती आई है
मंत्री और कामगार जानते है 
इन अच्छी और सुंदर बातों को 
उन्हें कैसे अनर्थ में बदलना है  
हर बार भेष बदल बदल 
राजा मंत्री कामगार
येही सब करते आ रहे है
अब प्रजा भी जान गयी 
तभी तो  चुनती  है खुद
 नए नए अनर्थ ........

3 comments:

  1. आपकी लेखनी अद्भुत है.....

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  2. बहुत ही सटीक लिखी गयी अभिव्यक्ति...

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  3. जैसा चुना है, वैसा फला है।

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