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Thursday, May 12, 2011

मिल आया मैं आज .....

कितनी उजली है 
निर्मल सहज 
जैसे हो सुगंध 
मेरी दादी के पूजा के आले की 

किरण वो कर गयी मुझे निहाल 
जैसे गोमुख में नहाया मैं 
उससे मिलकर 
मेरे  अंतस से 
मिल आया मैं आज .....
प्रेम की अंतहीन यात्रा मैं 
कभी नहीं आते पड़ाव 
मगर तुमसे मिल 
खुद प्रेम को 
अपनी आँखों ले आया 
मैं आज ......

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