उमड़ घुमड़ मन में होती रहती है
बात करता जाता हूँ
अपने काम करता जाता हूँ
और तुम खुस्फुसाती रहती हो कुछ न कुछ
मेरे भीतर
कभी तुम छोडती नहीं मेरा साथ
और लोग जब भी मिलते है
बार बार दुखी होते है
करते है चिंता मेरी
मेरे और तुम्हारे बिछोह की
तुम्हारे नहीं रहने की
उन्हें क्या पत्ता
इतना साथ तो तुम थी ज़िंदा
तब भी नहीं था
यो हर पल रहना मेरा और तुम्हारा ......
कभी नहीं था ....
खुबसूरत भावाव्यक्ति के लिए बधाई
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