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Monday, June 6, 2011

जिसमे अनर्थ तय हो ....

ऐसा कई बार  होता है 
कहा कुछ जाता है 
सुना कुछ और 
जो सुना गया है 
शायद चाहा गया था 
कि सुनने वाला कतई
इसका ये अर्थ न निकाले 
नहीं तो अर्थ का अनर्थ हो जाएगा 
और अनर्थ जो होना ही था 
होता है 
और
कहने वाला बेफ़िक्र
सुनने वाले को जिम्मेदार ठहरा देता  है
तब अनर्थ से बचने
कहने वाले सुनने वालो के साथ  करते है बैठक 
फिर सोचा जाता है क्या कहा जाए 
बल्कि कैसे कहा जाए 
ताकि अर्थ मिले और  अनर्थ से बचा जा सके 
""अरे,-- आप जम्हाई लेने लगे 
ये जिम्मेदारो की बैठक है  श्रीमान
और आज इस गहन मुद्दे पर बात होनी है ""
इन और ऐसी बैठको ने बेडा  गर्क कर दिया है देश का  
बैठक के आयोजक जानते है 
तभी तो ढूंढते है ऐसे अर्थ 
जिसमे अनर्थ तय हो .......

1 comment:

  1. अर्थ और अनर्थ की स्पष्ट भाषा में
    कई सन्देश दे दिए आपने ...
    अच्छी रचना है ,,,, मननीय !

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