मेरे जीवन सागर में है
मानिक ,मोती ,सीप
ज्यूँ उसकी बातें ,यादें
गहरे में मेरे है वो
ज्यू होता सागर में
कोई खजाना अनमोल
उन अनमोल रत्नों से होता में अद्भुत
शांत ,अपने मौन में चमकता हर पल
विष्णु के ध्यान सा बुनता अपना समय
मेरे इस जीवन अब नहीं कोई इन्तिज़ार
न बिछोह ,न मिलन ,न आस ,न निराशा
बीच समुन्द्र ज्यू न होता तट ना आकाश
बस होता निर्विकार
हूँ मैं यू
हर पल तेरे साथ
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