एक चिंगारी
जंगल के जंगल
लील जाती है
एक चिंगारी
चूल्हा जलाती है
भूख मिटती है
एक चिंगारी
रोशन कर देती है
अँधेरा मिटाती है
एक चिंगारी
कोंध जाती है
जीवन के किसी क्षण
आपको बदल देती है
लाल सुर्ख अंगारे में
और खुद हवा देती है
कुछ इस तरह --क़ि
न तो बुझे ये अंगारा
न भड़के
बस सुलगे
वही चिंगारी हो --तुम !
और तुम्हारी याद !!
बहुत सुन्दर रचना। बधाई।
ReplyDeletevery nice
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