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Monday, June 27, 2011

वही चिंगारी हो

एक चिंगारी 
जंगल के जंगल 
लील जाती है 
एक चिंगारी 
चूल्हा जलाती है 
भूख मिटती है 
एक चिंगारी 
रोशन कर देती है 
अँधेरा मिटाती है 
एक चिंगारी 
कोंध जाती है 
जीवन के  किसी क्षण 
आपको बदल देती है 
लाल सुर्ख अंगारे में
और खुद हवा देती है 
कुछ इस तरह  --क़ि
न तो बुझे ये अंगारा 
न भड़के 
बस सुलगे 
वही चिंगारी हो --तुम !
और तुम्हारी याद !!

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना। बधाई।

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  2. very nice
    chhotawriters.blogspot.com

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