उस घर को देखू तो तेरी याद आये
तुझको देखू तो घर वो याद आये /
बूंदे गिरी आज दो चार, तपते बदन
तुम ही क्यों रह रह याद मुझे आये /
सावन नहीं, आषाड़ की है ये रात
तुम हो मगर बीते दिन याद आये /
महक है बूंदों में, गमक तेरी बातों में
मगर क्यों यार तेरे मेरे आंसू आये /
तू है मैं हूँ बूंद बूंद झरती बरसात है
ख्वाब नहीं ये , वो जमीन पर आये /
कस के पकड़ना छोड़ना नहीं हाथ
सैलाब कैसा भी किधर से भी आये //
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