कहा खो गया
उसके चेहरे मैं वो
अहम् ,उसकी घृणा
अब बात बात मैं हंस हंस
उसका मुझसे लिपटना
मुझे उससे दूर करता जाता है
बार बार याद दिलाता है
ये वही ही
जिसने मुझे दुत्कारते हुए
हमेशा नकारा है
आज उसका स्वीकार भाव
मुझे ज्यादा तकलीफ क्यों दे रहा है
जवाब मिला मुझे जब वो चला गया
वो अब दोस्त नहीं रहा
नकली रिश्ते का मुखोटा लिए घूमता
अजनबी सक्ष हो गया है
यह बात सालती है मुझे
मैं कितना बिचारा हुआ
उसके बगैर
वो शायद ही मेरी ये तकलीफ
जानेगा कभी !!
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