अंतर्द्वंद के कुहासे में लिपटा समय
नया या पुराने के संदर्भो से विरक्ति का भाव लिए
संभल नहीं पाता स्वीकृति के नकार के साथ
कभी हो नहीं पाता समय अपने क्षणों के साथ
अन्छुवे क्षणों की ललक मायूस होकर
फिर ले रही है आकार वर्तमान में
अब क्या नया ?
ये वर्तमान का क्षण
जो आनेवाले समय की प्रतीक्षा में गुजरता जाता है
या आकार ले रहे वे अन्छुवे क्षण !
असमंजस के इस पोखर
काई सा जम रहा है
फिर समय पर समय !
बेहतरीन....नव वर्ष की हार्दिक शुभकानायें...
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