रंग पुराने नए होकर आते है
भाव वही नए चित्रों में नयी कविताओं में ढलते है
समय वही नए क्षणों में नए चेहरों की मुस्कान लिए सजते है
जैसे बरसात में नदी सूखे पाट को अपना नाम दे जाती है
मेने भी लिया है नाम ,मैंने भी दिया है नाम ,बहा हूँ ,बह रहा हूँ
आकाश सोख रहा है ,अवसाद ,बिछोह ,उतेजना ,क्रोध
और रोज होता जाता है नीला ,बिखेरता जाता है धरती पर तमाम खुशिया
बहारो से झूमती धरती ,चहकती है ,चिड़िया की मानिंद
में भी झूमता हूँ ,मुस्कुराता हूँ ,गाता हूँ
इस जीवन ज्योति से अपनी ज्योत जगमगाता हूँ ....
भाव वही नए चित्रों में नयी कविताओं में ढलते है
समय वही नए क्षणों में नए चेहरों की मुस्कान लिए सजते है
जैसे बरसात में नदी सूखे पाट को अपना नाम दे जाती है
मेने भी लिया है नाम ,मैंने भी दिया है नाम ,बहा हूँ ,बह रहा हूँ
आकाश सोख रहा है ,अवसाद ,बिछोह ,उतेजना ,क्रोध
और रोज होता जाता है नीला ,बिखेरता जाता है धरती पर तमाम खुशिया
बहारो से झूमती धरती ,चहकती है ,चिड़िया की मानिंद
में भी झूमता हूँ ,मुस्कुराता हूँ ,गाता हूँ
इस जीवन ज्योति से अपनी ज्योत जगमगाता हूँ ....
बढिया रचना है।बधाई।
ReplyDeletebhaut hi acchi.........
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