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Sunday, January 8, 2012

जीवन ज्योति

रंग पुराने नए होकर आते है
भाव वही नए चित्रों में नयी कविताओं में ढलते है
समय वही नए क्षणों में नए चेहरों की मुस्कान लिए सजते  है
जैसे  बरसात में नदी  सूखे पाट को अपना  नाम दे जाती है
मेने भी लिया है नाम ,मैंने भी दिया है नाम ,बहा हूँ ,बह  रहा हूँ
आकाश सोख रहा है  ,अवसाद ,बिछोह ,उतेजना ,क्रोध
और रोज होता जाता है नीला ,बिखेरता जाता है धरती पर तमाम खुशिया
बहारो से झूमती धरती ,चहकती है ,चिड़िया की मानिंद
में भी झूमता हूँ ,मुस्कुराता हूँ ,गाता हूँ
इस जीवन ज्योति से अपनी ज्योत जगमगाता हूँ ....

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