लोक तंत्र के मायने
बहुत समझाए उन्होंने
जिनको खुद नहीं मालूम
लोक क्या बला है
तंत्र में बने रहने की कोशिसे
लोक को भूलने के लिए करती है मजबूर शायद
या वे जानते है
जो ज्यादा भावुक हुए
ज्यादा ही लोकतान्त्रिक हुए
मिलेगी नहीं दो जून की रोटी भी
ये गाडिया ,हवाई यात्राएँ ,बंगले ,वैभव
पीछे लोगो की अथाह भीड़
दोनों में से किसी एक को चुनना है
और आज गणतंत्र दिवस है
मैं यू करू
फहरा दूँ पाया झंडा
गाऊ राष्ट्र गान ,जाऊं शहीद स्मारक
गुण गान करू स्वतंत्रता सेनानियों का
और फिर गाडी में बैठ
पहुँच अपने बंगले
वो सब करू जिसकी इज्जाजत नहीं देता सविंधान
और बना रहू इस कुर्सी पर
फिर फेह्राने झंडा .......
सब साथ बोलो जोर से बोलो
जय हिंद !!!!!
बहुत बढिया!
ReplyDeleteशुभकामनाएं।