केश तुम्हारे
कितनी बात्तें छिपाएं हुए
इंतिज़ार कर रहे है
मुझसे मिलने का
और तुम्हारी आँखें
कह रही है वो सब
जो तुम्हे कहना है
मुझसे मिलकर .....राकेश मूथा
कितनी बात्तें छिपाएं हुए
इंतिज़ार कर रहे है
मुझसे मिलने का
और तुम्हारी आँखें
कह रही है वो सब
जो तुम्हे कहना है
मुझसे मिलकर .....राकेश मूथा
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