तुम कुछ भी सोचो
बात जो है वो मैं कभी शायद तुम्हे नहीं कह सकूंगा हूबहू जैसा मैं सोच रहा हूँ
हाँ आभास शायद तुम्हे हो
मेरी बात से
और शायद मुझे भी लगे
कि मैं यही कहना चाहता था
भाव और शब्द
आकाश और बादल कि तरह होते है
लगता है कभी आकाश बादल हो गए
और कभी लगता है बादल आकाश हो गए
मगर दोनों अलग है
बहुत अलग .........राकेश मूथा
बात जो है वो मैं कभी शायद तुम्हे नहीं कह सकूंगा हूबहू जैसा मैं सोच रहा हूँ
हाँ आभास शायद तुम्हे हो
मेरी बात से
और शायद मुझे भी लगे
कि मैं यही कहना चाहता था
भाव और शब्द
आकाश और बादल कि तरह होते है
लगता है कभी आकाश बादल हो गए
और कभी लगता है बादल आकाश हो गए
मगर दोनों अलग है
बहुत अलग .........राकेश मूथा
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