Search This Blog

Thursday, July 3, 2014

उजाड़ है आज मगर

अँधेरे में खिलता हुआ उसका चेहरा
 अकेली रातों को सुकून देता है
उजड़ी बगिया के बीच
एक खिला हुआ फूल
जैसे विश्वास दिला  देता है की
उजाड़ है आज मगर
बहार  आएगी यहाँ जल्दी ही
तुम्हारा चेहरा यो
मेरी याद में आकर
रोज जीवन्त रखता  है
मेरा रोजमर्रा .....राकेश मूथा 

No comments:

Post a Comment