नदी को समझ नहीं आया
बरसात का अर्थ
वो केवल यही समझी
बरसात में
भर गयी हूँ
बूँद बूँद को सहेज
बह रही हूँ
बादल सफ़ेद से भूरे हुए ,काले हुए
गरजे ,गुस्से से काँप चमके बिजली ज्यू
मगर समझी नहीं नदी
क्या कहना चाहा
बादल ने यूँ गरज कर ,चमक कर ,बरस कर
ज्येष्ठ की दुपहरी में
जब उड़ने लगी धूल
तब याद आये बादल नदी को
और समझी नदी
बादल वो है
जो हर हाल मेरे वुज़ूद को बनाये रखना चाहता है
अपने प्यार से भर
वो प्रेमी बहना चाहता है हमेशा मुझमें
वो चाहता है
नदी हूँ मैं
रहूँ हमेशा नदी एक बहती हुईं ...........राकेश मूथा
बरसात का अर्थ
वो केवल यही समझी
बरसात में
भर गयी हूँ
बूँद बूँद को सहेज
बह रही हूँ
बादल सफ़ेद से भूरे हुए ,काले हुए
गरजे ,गुस्से से काँप चमके बिजली ज्यू
मगर समझी नहीं नदी
क्या कहना चाहा
बादल ने यूँ गरज कर ,चमक कर ,बरस कर
ज्येष्ठ की दुपहरी में
जब उड़ने लगी धूल
तब याद आये बादल नदी को
और समझी नदी
बादल वो है
जो हर हाल मेरे वुज़ूद को बनाये रखना चाहता है
अपने प्यार से भर
वो प्रेमी बहना चाहता है हमेशा मुझमें
वो चाहता है
नदी हूँ मैं
रहूँ हमेशा नदी एक बहती हुईं ...........राकेश मूथा
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