अपना कहने की कोशिस
क्यों करने लगा वो !
दोस्तों में अपना दिल
खोजने लगा वो !
रास्ता है बीहड़
रात को क्यों निकला वो !
कुछ दिन हुए खबर नहीं
अंजाम तक पहुंचा क्या वो !
पता है साथ थी तुम
आज इसीलिए अकेला है वो !
नदियों में या सागर में
रहा कहीं मगर बहता रहा वो !
मालूम है शरीर होता है
जब तुम्हारे पास होता है वो !
चुप नहीं रहता दोस्तों में
न जाने क्या बोलता मंडल वो !
कुछ न कुछ अनुभव कराता रहता है यह शरीर।
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