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Sunday, October 10, 2010

मालूम है शरीर होता है

अपना कहने की कोशिस
क्यों करने लगा वो !


दोस्तों में अपना  दिल
खोजने लगा वो !

रास्ता है बीहड़
रात को क्यों निकला वो !

कुछ दिन हुए खबर नहीं
अंजाम तक पहुंचा क्या वो !

पता है साथ थी तुम
आज  इसीलिए अकेला है वो  !

  

नदियों में या सागर में
रहा कहीं  मगर बहता रहा वो !


मालूम है शरीर होता है
जब तुम्हारे पास होता है वो !
     

चुप नहीं रहता दोस्तों में
न जाने  क्या बोलता मंडल वो !

1 comment:

  1. कुछ न कुछ अनुभव कराता रहता है यह शरीर।

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